
जयंती को संम्बोधित करते वक्ता
राष्ट्रीय एकता और अखण्डता दिवस के रूप में मना लौह पुरूष का जन्मदिन
आजमगढ़-डेस्क- रिपोर्ट- शैलेन्द्र शर्मा


आजमगढ़। राष्ट्रीय एकता और अखण्डता दिवस के रूप में सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयन्ती नगर के राजकीय पालिटेक्निक के सभागार में समारोह पूर्वक सम्पन्न हुई। जयंती का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन कर संस्था प्रधानाचार्य इफ्तेखार अहमद ने किया। राष्ट्रीय एकता और अखंडता की शपथ भी दिलाई गयी।
इफ्तेखार अहद ने बताया कि भारत विश्व का सातवां सबसे बड़े भू-भाग वाला देश है, इसका श्रेय महापुरूषों को जाता है। भारत के विस्मार्क कहे जाने वाले सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 565 देशी रियासतों एवं रजवाड़ों को भारत गणतंत्र में बिना शर्त मिलाया। सरदार बल्लभ भाई का जितना योगदान भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में रहा, उससे अधिक स्वतंत्रता पश्चात शासन में उनके योगदानों को देश याद करता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यांत्रिक अभियंत्रण के विभागाध्यक्ष धीरेन्द्र सिंह ने कहा सरदार पटेल निर्विवाद रूप से भारतीय एकीकरण के नायक है। वर्ष 1928 में बारदोली सत्याग्रह के दौरान उनकी संवेदनशील नेतृत्व क्षमता ने उन्हे नई पहचान दी। उन्होंने राजनीति में महिलाओं के साथ भेद-भाव का खुलकर विरोध किया था। सरदार ने डिस्ट्रिक्ट म्युनिसिपल एक्ट से उस सेक्शन 15(1)सी को खत्म करवाया जो महिलाओं को चुनाव लड़ने से रोकता था, उनकी यह दलील थी कि निर्वाचित सदन से महिलाओं को बाहर रखने का मतलब अहमदाबाद की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को समाप्त करना है। इस नेक निर्णय के ठीक चालीस बरस बाद यानी 1966 में इन्दिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर सम्भाली। कार्यक्रम का संचालन देवाशीष श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर प्रेमानन्द पटेल, सिकन्दर, खुशबू गुप्ता, आयोध्या प्रसाद मौर्य, गुलाम यजदानी, संतोष कुमार, रमेश प्रजापति, प्रीतकमल सिंह, गुलाब सिंह, सैम्मुलाह अंसारी, श्याम लाल, अरविन्द यादव, कान्ता प्रसाद, राजनरायण, कुलभूषण सिंह, वेदप्रकाश अस्थाना, संजय यादव, सुरेन्द्र, संदीप विश्वकर्मा, अनुरंजन, रामकरन, सियाराम चौहान, राजू मौर्या, ओमप्रकाश सिंह, अंशुमान, रामनगीना सिंह, अरूण यादव, प्रेमचन्द्र सहित संस्था के समस्त छात्र-छात्राओ व प्रयास सामाजिक संगठन के अध्यक्ष रणजीत सिंह, ई. सुनील यादव आदि मौजूद रहे।
इफ्तेखार अहद ने बताया कि भारत विश्व का सातवां सबसे बड़े भू-भाग वाला देश है, इसका श्रेय महापुरूषों को जाता है। भारत के विस्मार्क कहे जाने वाले सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 565 देशी रियासतों एवं रजवाड़ों को भारत गणतंत्र में बिना शर्त मिलाया। सरदार बल्लभ भाई का जितना योगदान भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में रहा, उससे अधिक स्वतंत्रता पश्चात शासन में उनके योगदानों को देश याद करता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यांत्रिक अभियंत्रण के विभागाध्यक्ष धीरेन्द्र सिंह ने कहा सरदार पटेल निर्विवाद रूप से भारतीय एकीकरण के नायक है। वर्ष 1928 में बारदोली सत्याग्रह के दौरान उनकी संवेदनशील नेतृत्व क्षमता ने उन्हे नई पहचान दी। उन्होंने राजनीति में महिलाओं के साथ भेद-भाव का खुलकर विरोध किया था। सरदार ने डिस्ट्रिक्ट म्युनिसिपल एक्ट से उस सेक्शन 15(1)सी को खत्म करवाया जो महिलाओं को चुनाव लड़ने से रोकता था, उनकी यह दलील थी कि निर्वाचित सदन से महिलाओं को बाहर रखने का मतलब अहमदाबाद की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को समाप्त करना है। इस नेक निर्णय के ठीक चालीस बरस बाद यानी 1966 में इन्दिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर सम्भाली। कार्यक्रम का संचालन देवाशीष श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर प्रेमानन्द पटेल, सिकन्दर, खुशबू गुप्ता, आयोध्या प्रसाद मौर्य, गुलाम यजदानी, संतोष कुमार, रमेश प्रजापति, प्रीतकमल सिंह, गुलाब सिंह, सैम्मुलाह अंसारी, श्याम लाल, अरविन्द यादव, कान्ता प्रसाद, राजनरायण, कुलभूषण सिंह, वेदप्रकाश अस्थाना, संजय यादव, सुरेन्द्र, संदीप विश्वकर्मा, अनुरंजन, रामकरन, सियाराम चौहान, राजू मौर्या, ओमप्रकाश सिंह, अंशुमान, रामनगीना सिंह, अरूण यादव, प्रेमचन्द्र सहित संस्था के समस्त छात्र-छात्राओ व प्रयास सामाजिक संगठन के अध्यक्ष रणजीत सिंह, ई. सुनील यादव आदि मौजूद रहे।
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