
मुलायम के गढ़ में निर्दल प्रत्याशियो की टक्कर ने उड़ाई सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस की नींद स्टार प्रचारको का सभी ने किया इस्तेमाल
आजमगढ़-डेस्क-रिर्पोट-धर्मेन्द्र श्रीवास्तव-एडीटर
पूर्वांचल में आजमगढ़ हमेशा राजनीति के केंद्र बिन्दू में चर्चा का विषय बना रहता है। इसे सपा और बसपा का गढ़ माना जाता है और यही से ये दोनो दल हर चुनाव में अपना राजनीतिक संदेश देना का सिलसिला शुरू करते है।


अब आपको राष्ट्रीय स्टार प्रचारको से अवगत कराते है। सबसे पहले भाजपा ने अपने प्रत्याशी अजय सिंह की जीत सुनिश्चित कराने के लिए ऐसे स्टार प्रचारक को बुलाया जो वर्तमान मंे यूपी के मुख्यमत्री है। योगी आदित्य नाथ सीएम बनने से पहले अपनी बयानबाजी को लेकर इस क्षेत्र में प्रायः सुर्खियो मंे रहते थे। भाजपा ने यहां बुलाया और मतदाताओ को रिझाने का पूरा प्रयास किया। हालाकि यह बात दिगर थी कि पार्टी उनके कद के अनुरूप भीड़ जुटाने मंे कामयाब नहीं रही। फिरभी योगी ने अपने तल्ख तेवर में खासकर व्यापारी की सुरक्षा को लेकर जो बयान दिया उसका मतदाताओ पर दूरगामी असर पड़ सकता है।
समाजवादी पार्टी ने यहां से अपने प्रत्याशी पदमाकर लाल वर्मा के पक्ष में दो स्टार प्रचारको को बुलाया। पहले सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, दूसरे थे फायर ब्रांड नेता अबु आसिम आजमी जिन्होने अखिलेश यादव के कामो का बखान और आजमगढ़ के विकास में उनका योगदान की बात कहकर नगर की मतदाताओ को पूरी तरह अपने पक्ष मंे करने का प्रयास किया।
बसपा ने भी अपने प्रत्याशी सुधीर सिंह पप्लू को विजयश्री दिलाने के लिए बसपा के पूर्व सांसद फायर ब्रांड नेता अकबर अहमद डम्पी को बुलाया जिन्होने स्थानीय विकास के मुद्दे पर तो कुछ खास नहीं बोल सके। हा उन्होने पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी पर टिप्पणी कर मोदी और योगी विरोधियो को समझाने का जरूर प्रयास किया।


कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी डा0 रमेश चन्द्र शर्मा अपनी जीत का दावा जरूर कर रहे है लेकिन पार्टी के ताकत से ही वोटर भी उनको जोड़ रहे है। शायद पार्टी ने इसीलिए किसी स्टार प्रचारक को बुलाने की जहमत नहीं उठाई।
आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव ने भी अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के स्टार प्रचारक प्रवक्ता संजय सिंह को बुलाया। संजय सिंह ने भी मोदी और योगी के नीतियो की जमकर आलोचना की और इसे असफल सरकार बताते हुए अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदाताओ से समर्थन मांगा।


अब रही बात निर्दल प्रत्याशियो की तो एक है शीला श्रीवास्तव जो दस वर्षो तक नगरपालिका परिषद के एक ऐसे अध्यक्ष स्व0 गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव की पत्नी है। स्व0 गिरीश के कार्यो को लेकर आज भी आजमगढ़ शहर की जनता उनको भूल नहीं पाती। उनके स्टार प्रचारक तो बाहर से कोई नहीं आया लेकिन स्व0 गिरीश के काम और उनके बेटे प्रणीत श्रीवास्तव हनी द्वारा अपने पिता के कार्यो को गिनाना और उनके अधूरे सपनो को पूरा करने की बात किसी स्टार प्रचारक से कम नहीं है। शायद इसी बल पर निर्दल होते हुए भी अपने जीत का दावा प्रस्तुत कर रहे है।
दूसरे है भारत रक्षा दल के प्रत्याशी हरिकेष विक्रम श्रीवास्तव जिनको संघर्षो का एक लम्बा इतिहास है। वह अपने इन्ही संघर्षो के बल पर खुद को किसी स्टार प्रचारक से कम नहीं समझते और इसी बल पर अपने जीत का दावा पेश कर रहे है।
इस सभी के दावो में कितना दम है यह तो 22 नंवबर को होने वाले मतदान के दिन पता चलेगा और 1 दिसम्बर की गिनती पूरे परिदृश्य को साफ कर देगा लेकिन इस लड़ाई में निर्दल प्रत्याशियो की टक्कर ने सपा, बसपा, भाजपा और कांगे्रस सभी दलो की नींद उड़ा दी है।
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