
आजमगढ़-तरवा-भण्डारे के साथ पांच दिवसीय श्री हरि कथा ज्ञान यज्ञ संपन्न
आजमगढ़-डेस्क-रिपोर्ट-बृज भूषण रजक-तहसील-मेहनगर
आजमगढ़। तरवां थाना क्षेत्र के रासेपुर शिव मन्दिर प्रांगण में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्री हरि कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे एव अंतिम दिन भण्डारे के साथ हुआ समापन।
कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रवीण कुमार सिंह ने, सारे तीरथ धाम आप के चरणों में हे गुरूदेव प्रणाम आप के चरणों में…….. गीत के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय कर दिया। वहीं
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या रेनू जी एवं सुषमा जी द्वारा-नाम जपले गुरू का नाम जप ले चैरासी तरी कट जायेगी……। गुरू के बाय एतना महिमा, केतना बतायीं हो…..। भजनों के भाव से पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया और श्रोतागण झूमने लगे।
गोरखपुर से आये कथावाचक स्वामी ब्रम्हेशानन्द जी ने गुरू की महिमा का बखान करते हुये कहा कि गुरू की महिमा का गुणगान पूरी धरती को कागत बना लिया जाय और समुद्र को स्याही बना दिया, सम्पूर्ण पृथ्वी के जंगलों की कलम बना दिया जाय फिर भी गुरू की महिमा का बखान नहीं किया जा सकता है। जो गुरू ज्ञान कराते समय अनन्त ज्योति को हदय के अन्दर प्रकट कर दे, वहीं सच्चा गुरू है। गुरू की महिमा अनन्त है। जो जाति-पांति के बंधन में बंधा है वह कभी भी भक्ति नहीं कर सकता । भक्ति कोई शूरवीर ही कर सकता है। जो चारों वर्ण की व्यवस्था से दूर हो। जब कोई अपने काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, ईश्र्या, द्वेश इत्यादि दूर्गुणों को जला देता है, वहीं भक्ति पथ पर चल सकता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये महात्मा कृष्णा जी ने बताया कि जो ईश्वर का दर्शन करा दे वहीं सच्चा गुरू है। आज गुरूओं की बड़ी मारा मारी है। जितना एटम बम और परमाणु बम से खतरा नहीं है उतना संतों से है। संतों की कसौटी है जो ईश्वर का दर्शन करा दे। जीवन में तो बहुत गुरू हैं लेकिन जो ईश्वर का दर्शन करा दे, वहीं सच्चा गुरू है। सभी जीव एक ही ईश्वर को मानते हैं। ब्रह्मज्ञान का अर्थ यह है- ब्रह्म का अर्थ है ईश्वर, और ज्ञान का अर्थ है जानने वाला।
इस अवसर पर, मुन्ना लाल यादव, शिवनाथ सरोज, संतोष चैहान, क्षति प्रकाश, राजेन्द्र पासवान, इन्द्राशन चैहान, ललई सिंह, अजय सिंह, दीपक सिंह, मनीष सरोज, आशीष, सोफी राम राहुल, गोविन्द राम, रोहित, हवलदार यादव आदि लोग उपस्थित रहे।
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